रविवार, 30 जून 2013

गम हर किसी को मिला है, इस जिन्दगी मे ,
दर्द के दायरे से बाहर, निकल कर तो देखो।
कब तक कैद रहोगे, तन्हाई की जंजीरों मे ,
आजाद फ़िजा मे तुम सांसे, लेकर तो देखो।
ग़म औरो की जिन्दगी मे भी, कम नही है,
इक नजर दुनिया पर भी, डाल कर तो देखो।
इन्सान की हर चाहत पुरी हो, जरुरी तो नही ,
अपनो के दर्द को तुम भी, समझकर तो देखो। [अधीर]